Thursday, July 5, 2012

तेजाब का दुरुपयोग रोकने पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब


सुप्री मकोर्ट ने तेजाब को हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने, खासकर कथित व ठुकराए हुए प्रेमियों द्वारा युवतियों को इससे निशाना बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को गृह मंत्रालय से तेजाब बिक्री के नियमों को दुरुस्त करने के ठोस प्रयासों और प्रावधानों में बदलाव के संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है, ताकि तेजाब आसानी से अपराधियों को न मिल सके। न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और एआर दवे की पीठ ने तेजाब हमले में बुरी तरह से जख्मी लक्ष्मी नामक लड़की की जनहित याचिका (2006 में दाखिल) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने राज्य सरकारों व केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासकों से 11 फरवरी 2011 को जारी उस नोटिस का जवाब देने को कहा, जिसमें महिलाओं पर बढ़ते हमलों को रोकने के लिए तेजाब की बिक्री सीमित करने को कहा गया था। शीर्ष अदालत ने 29 अप्रैल 2012 को गृह मंत्रालय से कहा था कि वह राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों के समन्वय से तेजाब बिक्री के बारे में ठोस योजना तैयार करे। पीठ ने केंद्र और राज्यों से जानना चाहा कि क्या उन्होंने तेजाब हमले से पीडि़त के उपचार और पुनर्वास के लिए समुचित मुआवजे की कोई अनुकूल योजना तैयार की है। केंद्र ने पूर्व में अदालत को बताया था कि इस मामले में विधि आयोग की रिपोर्ट सभी संबंधित पक्षों व महिला आयोग को भेजी गई है, ताकि सबके मशविरे से तेजाब हमले को गंभीर अपराध घोषित करने का कानून बन सके। ज्ञात हो, लक्ष्मी ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर ऐसे मामले के निपटारे के लिए नया कानून बनाने या दंड संहिता, गवाह कानून और अपराध प्रक्रिया संहिता में संशोधन की मांग की है। याची का कहना है कि कानून ऐसा होना चाहिए जिसमें अपराधी को दंड और पीडि़त को मुआवजे की व्यवस्था हो। मालूम हो कि देश के विभिन्न राज्यों से युवतियों पर तेजाब फेंकने की घटना सुर्खियां बटोरती हैं। इसके खिलाफ फिलहाल कोई सख्त कानून नहीं होने के कारण आरोपी बेखौफ रहते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के इस पहल से इस मामले के पीड़तों में न्याय मिलने की आस एक बार फिर से जागेगी। अभी तो यह देखना है कि केंद्र और राज्य सरकारों का इसपर क्या रुख रहता है।

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