नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट बुधवार को जनप्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) के कुछ प्रावधान खत्म करने पर विचार के लिए सहमत हो गया। ये वे प्रावधान हैं जिनके जरिए पहले अपराधी रहे लोगों के दोष सिद्ध के बाद भी चुनाव लड़ने की संभावना बरकरार रहती है। याचिका पर अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और जे चेलेमेश्वर की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन से कहा, यह बहुत अहम मुद्दा है और हम इस पर विचार करना पसंद करेंगे। नरीमन याचिकाकर्ता लिली थॉमस की ओर से पेश हुए थे। 2005 में दर्ज इस याचिका पर कोर्ट ने पहले अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया था। याचि ने 1951 के जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8,9 और 11 ए को रद करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 84, 173 और 326 का उल्लंघन है, जिसमें अपराधियों के मतदाता के रूप में पंजीयन व सांसद-विधायक बनने पर पाबंदी है। आरपीए की धाराएं 8, 9 और 11 ए में दोषी करार लोगों को सजा के खिलाफ अपील या पुनर्विचार याचिका लंबित रहने तक विधायक-सांसद बने रहने की इजाजत देती हैं।
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