भले ही न्यायपालिका में गोपनीयता पर गाहे बगाहे टिप्पणियां की जाती हों, लेकिन अब स्थिति वह नहीं रही। न्यायपालिका धीरे-धीरे पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार अपनी वेबसाइट पर अधीनस्थ अदालतों के न्यायधीशों पर हुई प्रशासनिक व अनुशासनात्मक कार्रवाई के आंकड़े डाले हैं। जिनके मुताबिक पिछले साल जनवरी से इस वर्ष 31 मार्च तक 75 जजों को विभागीय जांच के बाद सेवानिवृत्ति दे दी गई, जबकि 305 के खिलाफ अभी जांच लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर देशभर की अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक विभागीय कार्रवाई का आंकड़ा डाला है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल विभागीय जांच के बाद जिला जज कैडर के 55, सिविल जज सीनियर डिवीजन कैडर के 16 और सिविल जज जूनियर डिवीजन कैडर के 4 जजों को 50, 55 और 58 वर्ष में कार्य समीक्षा के बाद स्थायी तौर पर सेवानिवृत्त कर दिया गया। 38 जजों पर मेजर पेनाल्टी (बड़ा दंड) लगाई गई, जबकि 35 पर माइनर पेनाल्टी लगी। 305 जजों के खिलाफ अभी जांच लंबित है जिनमें सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश की है जहां 44 जजों के खिलाफ जांच लंबित है। वेबसाइट पर डाले गए कार्रवाई के पूरे चार्ट में 8 खंड है जिनमें आखिरी खंड रिमार्क का है जो कि शुरू से अंत तक खाली है|
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