Friday, October 14, 2011

बिहार में शिक्षकों की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी


बिहार में वर्षो से लटका प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को सुप्रीमकोर्ट ने वरिष्ठता और रोस्टर से बनाई गई उम्मीदवारों की सूची स्वीकार कर ली और राज्य सरकार को भर्ती शुरू करने का निर्देश दिया। मालूम हो कि बिहार में 34540 प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का मामला 2006 से लटका था। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने बिहार सरकार के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए ये निर्देश जारी किए। इससे पहले राज्य सरकार के वकील कैलाश वासुदेव, गोपाल सिंह व मनीष कुमार ने 1,23,000 उम्मीदवारों की वरिष्ठता और रोस्टर से तैयार सीलबंद सूची सुप्रीमकोर्ट में पेश की। राज्य सरकार की ओर से दिए गए ब्योरे मुताबिक 17270 अनारक्षित पद हैं। 345 अनुसूचित जनजाति। 5526 अनुसूचित जाति। 6217 बीसी वन। 4145 बीसी 21037 महिला पिछड़ा वर्ग के पदों को मिला कर कुल 34540 पद हैं। राज्य सरकार ने कोर्ट बताया कि शारीरिक शिक्षा में सिर्फ 1,084 शिक्षक चाहिए, जबकि उनके पास इस श्रेणी में 4972 उम्मीदवार हैं। उर्दू विषय के लिए 12,862 शिक्षक चाहिए, जबकि उनके पास सिर्फ 1509 शिक्षक हैं। ऐसे में राज्य सरकार को शारीरिक शिक्षा की श्रेणी में घटा कर उर्दू शिक्षक की श्रेणी में संख्या बढ़ाने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार की यह मांग मान ली। इतना ही नहीं, कोर्ट ने भर्ती के समय दस्तावेजों की जांच में खामी पाये जाने पर राज्य सरकार को उचित कार्रवाई का भी अधिकार दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार का अनुरोध स्वीकार करते हुए यह भी कहा है कि जो उम्मीदवारों 31 जनवरी 2012 तक 60 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे उनकी नियुक्त नहीं की जाएगी।

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