Monday, October 3, 2011

मानसिक बीमारी पर मिल सकता है तलाक : कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पति या पत्नी में से किसी एक के भी मानसिक तौर पर बीमार होने पर दूसरा साथी तलाक पाने का अधिकारी है। जस्टिस पी सदाशिवम व जस्टिस बीएस चौहान की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 में कहा गया है कि पति या पत्नी में से किसी एक के पास भी अगर अपने इस दावे को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उसका साथी मानसिक तौर पर बीमार है तो वह तलाक की मांग कर सकता है। कोर्ट ने पंकज महाजन नामक व्यक्ति की याचिका पर यह फैसला दिया। महाजन ने इस बात के पर्याप्त सबूत दिए थे कि उसकी पत्नी डिंपल शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है और उसे प्रताड़ित करने के साथ आत्महत्या करने की भी धमकी देती है, इसके बाद भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे तलाक लेने की अनुमति नहीं दी थी। महाजन ने इसी फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस सदाशिवम ने फैसला देते हुए कहा, ‘रिकॉर्ड में जो भी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, उनके माध्यम से अपीलकर्ता पति यह प्रदर्शित करने में सफल रहा है कि उसकी पत्नी मानसिक बीमारी शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। अपीलकर्ता पति की ओर से विभिन्न चिकित्सकों और दूसरे गवाहों ने साबित कर दिया है कि अपीलकर्ता की पत्नी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।डिंपल के इलाज के दौरान महाजन को पता चला कि उसका शादी के पहले भी शिजोफ्रेनिया का इलाज चला था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 का दिया हवाला

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