Monday, November 28, 2011

टीएचडीसी करे 102 करोड़ रुपये का भुगतान : सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने टीएचडीसी को पुनर्वास से संबंधित कार्यो के लिए 102.99 करोड़ रुपये दो सप्ताह के अंदर राज्य सरकार को भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद ही टिहरी झील का स्तर आरएल 825 मीटर तक भरने की अनुमति मिलेगी। झील का स्तर आरएल 825 मीटर तक भरने के लिए कुछ अन्य शर्ते भी रखी गई हैं। टीएचडीसी टिहरी झील का स्तर 835 मीटर तक बढ़ाना चाहता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक वाद पहले से ही चल रहा था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और जिलाधिकारी टिहरी को टीएचडीसी की इच्छा के अनुसार झील का स्तर आरएल 835 मीटर तक बढ़ाने पर अपना पक्ष रखने को कहा था। 19 अक्टूबर 2011 को जिलाधिकारी टिहरी तथा टीएचडीसी के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत में टिहरी झील का स्तर आरएल 825 मीटर करने पर सहमति बन गई। इसके लिए कुछ शर्ते भी तय की गई। जैसे शासन की अनुमति के बिना झील का जल स्तर आरएल 825 मीटर से ऊपर नहीं बढ़ाया जा सकेगा। 30 जून 2011 को ऊर्जा सचिव भारत सरकार की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहमति बनी थी कि पुनर्वास से संबंधित मदों पर टीएचडीसी राज्य को 102.99 करोड़ की धनराशि का भुगतान तत्काल करेगा। साथ ही टिहरी बांध का स्तर 825 मीटर तक बढ़ाए जाने पर इससे होने वाले किसी भी दुष्परिणाम या क्षति की संपूर्ण जिम्मेदारी टीएचडीसी की होगी। आरएल 825 मीटर तक जल भराव करने से पूर्व टीएचडीसी को पुनर्वास निदेशक, आयुक्त गढ़वाल और शासन को अवगत कराना होगा। इसके बावजूद टीएचडीसी इस बात पर अड़ा हुआ था कि जब आरएल 835 मीटर तक जल भराव की अनुमति नहीं मिलेगी, तब तक 102 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जाएगा। इस बीच गत तीन नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में साफ कहा है कि राज्य सरकार ने अपने पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि वह आरएल 825 मीटर तक जल भराव के लिए सहमत है। कोर्ट ने कहा है कि इसके एवज में टीएचडीसी दो सप्ताह के अंदर 102.99 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। टीएचडीसी ने 2010 के मानसून में झील का जल स्तर आरएल 832 मीटर तक भर दिया था। टीएचडीसी प्रबंधन ने यहां तक कहा था कि उसे सुप्रीम कोर्ट से आरएल 830 मीटर तक जल भराव की अनुमति मिल गई है, जो अभी तक नहीं मिल पाई है। जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। झील का जल स्तर आरएल 832 मीटर तक भरने की वजह से प्रभावित क्षेत्र में जबरदस्त क्षति हुई थी। पचास हजार से अधिक आबादी इससे प्रभावित हुई थी। साथ ही मनेरी भाली फेज-दो में उत्पादन ठप हो गया था।

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