Tuesday, February 14, 2012

घरेलू हिंसा रोक कानून का दायरा बढ़ा


सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि घरेलू हिंसा रोक कानून लागू होने के पहले से अलग रह रही पत्नी को भी इस कानून में दिए गए पति के घर को साझा करने के अधिकार का लाभ मिलेगा। जो महिलाएं घरेलू हिंसा रोक कानून लागू होने के पहले से अलग रह रहीं हैं वे भी इस कानून के तहत पति के घर में रहने के अधिकार का दावा कर सकती हैं। इस फैसले का लाभ देश में घरेलू हिंसा की शिकार हजारों पीडि़त महिलाओं को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी वीडी भनोट की याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति जे चमलेश्वर की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से सहमति जताते हुए कहा है कि घरेलू हिंसा रोक अधिनियम, 2005 की धारा 12 में दाखिल की गई शिकायत पर विचार करते समय पक्षकारों के कानून लागू होने से पहले के व्यवहार पर भी विचार किया जा सकता है। ऐसा धारा 18,19 और 20 में पीडि़त महिला को संरक्षण देने पर विचार करते समय किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट का यह मानना भी सही है कि अगर कोई पत्नी कानून लागू होने से पहले पति के साथ रहती थी लेकिन कानून लागू होते समय वह अलग रह रही थी, तो भी उसे कानून में मिला पति का घर साझा करने के अधिकार का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पति को निर्देश दिया है कि वह अपनी पत्नी को अपने ही घर में पहली मंजिल पर रहने की सुविधा दे। घर पत्नी की रुचि और सुविधा के मुताबिक सुसज्जित हो और उसमें सभी मूलभूत सुविधाएं हों ताकि पत्नी सम्मान पूर्वक वहां रह सके। कोर्ट ने पति से 29 फरवरी तक इस आदेश का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि घर की सुविधा के अलावा पति 10 हजार रुपये महीने अन्य खर्चो के लिए भी पत्नी को देगा। भनोट दंपति की 1980 में शादी हुई थी और 2005 तक वे साथ रहे फिर अनबन हो गई।

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