Thursday, November 17, 2011

आठ लोगों को फांसी 27 को उम्रकैद


मथुरा जिले के 20 साल पुराने मेहराना के चर्चित तिहरे हत्याकांड में आज एक स्थानीय अदालत ने आठ अभियुक्तों को फांसी तथा 27 को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 27 मार्च 1991 को मथुरा जिले के बरसाना क्षेत्र में पंचायत के निर्णय के बाद ग्रामीणों ने एक युवती और दो युवकों को पेड़ पर लटकाकर फांसी दिये जाने के बाद उनके शव जला दिये थे। इस घटना में पुलिस ने 36 लोगों को नामजद करते हुए कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। चर्चित हत्याकांड में पुलिस ने 53 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। बीस साल तक चले इस मुकदमें की सुनवाई करते हुए अपर जिला सत्र न्यायाधीश एके उपाध्याय ने आठ आरोपियों को फांसी और 27 को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। सभी अभियुक्त 60 साल से अधिक उम्र के हैं। मुकदमे के दौरान 13 अभियुक्तों की मौत हो गयी है। गौरतलब है कि मेहराना निवासी गंगाराम जाटव की पुत्री रोशनी 21मार्च 1991 को अचानक गायब हो गयी थी। मेहराम सिंह जाटव के पुत्र रामकिशन और श्याम सिंह जाटव के पुत्र विजेन्द्र सिंह पर लड़की भगाने का आरोप था। घटना के चार दिन बाद लड़की 24 मार्च को घर लौट आयी थी। लड़की के वापस आने पर 26 मार्च को गांव में पंचायत बुलायी गयी जिसमें रोशनी व दोनों युवकों को भी बुलाया गया था। पंचायत 27 मार्च तक चली। युवती ने पंचायत में कहा कि वह विजेन्द्र के साथ रहेगी। पंचायत ने तीनों को पेड़ पर उलटा लटका कर पीटने का फरमान जारी किया।
पंचायत के निर्णय के बाद ग्रामीणों ने तीनों को पेड़ से लटकाकर मारा पीटा और बाद में उन्हें फांसी पर लटका दिया। हत्या के बाद उनके शव जला दिये गये। न्यायालय ने तेज सिंह, बच्चू, तुलसीराम, कमल सिंह, राम सिंह, रमन सिंह, करन सिंह और सिरे को फांसी की सजा सुनायी है जबकि आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में 95 वर्षीय नवल सिंह भी शामिल हैं। आजीवन कारावास पाने वाले अन्य लोगों में धन्नी, धर्मवीर, शिवचरन, सिंहराम, महेन्द्र, बल्ली, धर्मसिंह पुत्र कल्लू, जीवन, गिर्राज पुत्र गोविन्दा, मन्नी, सिरतो, गोपी, गिर्राज पुत्र कमल, काशी, चतर सिंह हरचन्द, मंगतूराम, सुन्दरलाल, धर्मसिंह पुत्र हरचन्दी, बाटो पुत्र भग्गो, प्रीतम, श्रीचन्द, दीपी उर्फ दीपचन्द, गंगाराम, हरी और लालसिंह शामिल हैं। इस घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय भूचाल खड़ा कर दिया था। तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों और कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने घटना की निन्दा की थी।

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