Monday, October 24, 2011
मम्मी-पापा राजी, तभी आर्य समाज में शादी
Friday, October 14, 2011
बिहार में शिक्षकों की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी
बिहार में वर्षो से लटका प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को सुप्रीमकोर्ट ने वरिष्ठता और रोस्टर से बनाई गई उम्मीदवारों की सूची स्वीकार कर ली और राज्य सरकार को भर्ती शुरू करने का निर्देश दिया। मालूम हो कि बिहार में 34540 प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का मामला 2006 से लटका था। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने बिहार सरकार के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए ये निर्देश जारी किए। इससे पहले राज्य सरकार के वकील कैलाश वासुदेव, गोपाल सिंह व मनीष कुमार ने 1,23,000 उम्मीदवारों की वरिष्ठता और रोस्टर से तैयार सीलबंद सूची सुप्रीमकोर्ट में पेश की। राज्य सरकार की ओर से दिए गए ब्योरे मुताबिक 17270 अनारक्षित पद हैं। 345 अनुसूचित जनजाति। 5526 अनुसूचित जाति। 6217 बीसी वन। 4145 बीसी 2। 1037 महिला पिछड़ा वर्ग के पदों को मिला कर कुल 34540 पद हैं। राज्य सरकार ने कोर्ट बताया कि शारीरिक शिक्षा में सिर्फ 1,084 शिक्षक चाहिए, जबकि उनके पास इस श्रेणी में 4972 उम्मीदवार हैं। उर्दू विषय के लिए 12,862 शिक्षक चाहिए, जबकि उनके पास सिर्फ 1509 शिक्षक हैं। ऐसे में राज्य सरकार को शारीरिक शिक्षा की श्रेणी में घटा कर उर्दू शिक्षक की श्रेणी में संख्या बढ़ाने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार की यह मांग मान ली। इतना ही नहीं, कोर्ट ने भर्ती के समय दस्तावेजों की जांच में खामी पाये जाने पर राज्य सरकार को उचित कार्रवाई का भी अधिकार दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार का अनुरोध स्वीकार करते हुए यह भी कहा है कि जो उम्मीदवारों 31 जनवरी 2012 तक 60 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे उनकी नियुक्त नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हिंदू महिला का संपत्ति में समान अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सितम्बर 2005 के बाद बिना वसीयत के उत्तराधिकार की स्थिति में कोई भी बंटवारा होने पर हिंदू महिला या लड़की को अन्य पुरुष रिश्तेदारों के बराबर का संपत्ति अधिकार हासिल है। न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और जगदीश सिंह खेहर ने एक फैसले में कहा कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियां अन्य पुरुष सहोदरों के बराबर दायभाग अधिकार की हकदार हैं। संशोधन से पहले उन्हें यह अधिकार हासिल नहीं था। शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला उत्तराधिकारी को न सिर्फ उत्तराधिकार का अधिकार होगा बल्कि पुरुष सदस्यों के साथ संपत्ति पर समान देनदारी भी होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि नई धारा 6 में संयुक्त हिंदू परिवार के पुरुष और महिला सदस्यों को सहदायिक संपत्ति में नौ सितम्बर 2005 से समान अधिकार देने का प्रावधान है। न्यायमूर्ति लोढ़ा ने अपने फैसले में कहा कि नई धारा छह के अनुसार किसी संपत्ति में सह समांशधारी (कोपार्सनर): की बेटी जन्म से ही उसी तरह अपने अधिकारों और देनदारियों से सह समांशधारी (कोपार्सनर) बन जाती है जैसे पुत्र। धारा छह में यह घोषणा की गई है कि सह समांशधारी की बेटी का सह समांशधारी संपत्ति में वही समान अधिकार और देनदारी होगी जो अगर वह बेटा होती तो उसे मिला होता। यह स्पष्ट है। सह समांशधारी शब्द संपत्ति में समान दायभाग अधिकार से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिवंगत चकिरी वेंकट स्वामी की पुत्री गंडूरी कोटेरम्मा की ओर से दायर अपील को मंजूर करते हुए दिया। इसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें पुरुष सहोदरों के बराबर महिला को समान संपत्ति अधिकार को मान्यता नहीं दी गई थी।
Monday, October 3, 2011
मानसिक बीमारी पर मिल सकता है तलाक : कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पति या पत्नी में से किसी एक के भी मानसिक तौर पर बीमार होने पर दूसरा साथी तलाक पाने का अधिकारी है। जस्टिस पी सदाशिवम व जस्टिस बीएस चौहान की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 में कहा गया है कि पति या पत्नी में से किसी एक के पास भी अगर अपने इस दावे को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उसका साथी मानसिक तौर पर बीमार है तो वह तलाक की मांग कर सकता है। कोर्ट ने पंकज महाजन नामक व्यक्ति की याचिका पर यह फैसला दिया। महाजन ने इस बात के पर्याप्त सबूत दिए थे कि उसकी पत्नी डिंपल शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है और उसे प्रताड़ित करने के साथ आत्महत्या करने की भी धमकी देती है, इसके बाद भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे तलाक लेने की अनुमति नहीं दी थी। महाजन ने इसी फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस सदाशिवम ने फैसला देते हुए कहा, ‘रिकॉर्ड में जो भी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, उनके माध्यम से अपीलकर्ता पति यह प्रदर्शित करने में सफल रहा है कि उसकी पत्नी मानसिक बीमारी शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। अपीलकर्ता पति की ओर से विभिन्न चिकित्सकों और दूसरे गवाहों ने साबित कर दिया है कि अपीलकर्ता की पत्नी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।’ डिंपल के इलाज के दौरान महाजन को पता चला कि उसका शादी के पहले भी शिजोफ्रेनिया का इलाज चला था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 का दिया हवाला
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