Thursday, March 29, 2012

तय होंगे अदालती रिपोर्टिग के दिशानिर्देश


वरिष्ठ वकीलों और विधि विशेषज्ञों की प्रतिकूल राय के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि वह अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिग पर मीडिया के लिए दिशा निर्देश तय करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि विधि मामलों में रिपोर्टिग पर नियमन के अभाव में न्यायिक प्रशासन की सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडि़या की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की राय जानने के बाद कहा कि हम कोर्ट रिपोर्टिग के लिए गाइडलाइन तय करने के खिलाफ हैं, मगर कानूनों के अभाव में हमें ऐसा करने को मजबूर होना पड़ा है। पीठ ने कहा कि न्यायिक कार्यवाही में बाधा आए तो हम हाथ बांधे बैठे नहीं रह सकते। जब तक कोई प्रभावी कानून नहीं बन जाता, यह गाइडलाइन प्रभावी रहेगी। पीठ ने कहा कि ये दिशानिर्देश न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिग का नियमन करने वाले भावी कानूनों के अधीन होंगे जैसा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विशाका केस में कहा गया है। हालांकि न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत की मंशा अदालती कार्यवाही से निकलने वाले तथ्यों या रिपोर्ट को दबाने की कतई नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि वह सभी पत्रकारों की काबिलियत पर सवाल नहीं उठा रही। अदालत ने ध्यान दिलाया कि कई तरीके की गाइडलाइन तैयार की गई हैं मगर उन पर शायद ही कभी अमल किया गया हो लिहाजा घबराने की जरूरत नहीं है। पीठ ने इस बात पर भी गहन विचार किया कि क्या आरोपी, गवाह और पीडि़त के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट की कार्यवाही के प्रकाशन को कुछ वक्त के लिए स्थगित किया जा सकता है खासकर आपराधिक मामलों में।

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