Tuesday, April 3, 2012

सिर पर मैला ढोने पर रोक के लिए आएगा कानून


देशभर में पांच लाख से अधिक लोगों के सिर पर मैला ढोने के काम में लगे होने से संबंधित एक जनहित याचिका के दायर होने के नौ साल बाद सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि वह इस कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए शीघ्र ही संसद में विधेयक पेश करेगी। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल हरेन रावल ने प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाडि़या की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि एक विधेयक मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा जिसमें पूरे मामले को निबटाया जाएगा। जब रावल ने कहा कि ऐसे विधेयक के पारित होने पर संबंधित याचिका निष्फल हो जाएगी तब गैर सरकारी संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन के वकील के परमेश्वर और शोमोना खन्ना ने कहा कि संसद में विधेयक के लंबित होने का मौजूदा सुनवाई से कोई संबंध नहीं है। परमेश्वर और खन्ना ने कहा कि देशभर में मैला ढोने के काम में 5,77,228 लोगों के लगे होने का जिक्र करने वाली वर्ष 2003 की याचिका इंप्लायमेंट ऑफ मैन्यूएल स्कैंवेंजर एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ ड्राइ लैट्रिंस प्रोहिबिशन एक्ट, 1993 को लागू करने के लिए है ताकि सिर पर मैला ढोने की प्रथा पर रोक लगे। संगठन ने कहा कि पिछले नौ साल में अदालत से कई आदेश जारी हुए, लेकिन उनका उचित कार्यान्वयन नहीं हुआ और उत्तराखंड तो 2009 में जारी अदालत की अवमानना संबधी नोटिस का जवाब देने में भी विफल रही।

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