Wednesday, February 15, 2012

यूपी में मनरेगा धांधली की सीबीआइ से जांच क्यों नहींकरा रहा केंद्र


हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मनरेगा मामले की जांच सीबीआइ से कराए जाने की मांग पर ग्रामीण विकास मंत्रालय से जवाब-तलब किया है। अदालत ने पूछा है कि जब इस मामले में सीबीआइ जांच कराने का अधिकार केंद्र सरकार को है तो वह कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? पीठ ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के केंद्रीय सचिव से कहा है कि वह शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष आगामी 14 मार्च को प्रस्तुत करें। यह आदेश वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी की खंडपीठ ने याची सच्चिदानंद गुप्ता (सच्चे) की ओर से अधिवक्ता कामिनी जायसवाल व गौरव मेहरोत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिए। याची की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने पीठ को बताया कि मनरेगा अधिनियम की धारा 27 में केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह घोटाले की जांच सीबीआइ या अन्य स्वतंत्र एजेंसी से करा सकती है। याचिका में कहा गया कि प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिलों में मनरेगा घोटाले की बात स्पष्ट हुई है, फिर भी केंद्र सरकार व राज्य सरकार निष्पक्ष जांच नहीं करा रहे हैं। यह भी कहा गया कि प्रदेश में मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों को वर्ष में 100 दिन निश्चित रोजगार दिए जाने के बाबत करोड़ों रुपया राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने भेजा। कहा गया कि इस पैसे का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। याचिका में मांग की गई है कि पूरे प्रदेश में हुए मनरेगा के कथित घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जाए।

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