Friday, September 30, 2011

9.50 लाख मामलों का बोझ पर जजों के 99 पद खाली


देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी से लंबित मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इनमें सबसे बदतर हालात इलाहाबाद हाईकोर्ट के हैं जहां न्यायाधीशों के 160 पदों में से 99 खाली हैं। जबकि देश के सभी हाईकोर्टो में अटके कुल 40 लाख मामलों में एक चौथाई यहां लंबित पड़े हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने कानून मंत्रालय से सूचना के अधिकार कानून के जरिए यह जानकारी हासिल की है। इस जानकारी के अनुसार देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में जहां 40 लाख से भी अधिक मामले लंबित हैं, वहीं उच्च न्यायपालिका में 285 पद अभी भी खाली हैं। रिक्तियां न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या का 31 प्रतिशत है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक सितंबर तक न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 160 है, लेकिन सिर्फ 61 पदों पर नियुक्ति हुई है जो कुल संख्या का सिर्फ 38 प्रतिशत है। इनमें से भी सात न्यायाधीश 31 दिसंबर 2012 तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे। गौरतलब है कि कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने पिछले साल कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में साढ़े नौ लाख से भी अधिक मामले लंबित हैं।इसके अलावा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय भी न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहा है। यहां न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 68 है, जबकि सिर्फ 43 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है और 25 पद अभी भी खाली पड़े हैं। हिमाचल उच्च न्यायालय देश का एकमात्र उच्च न्यायालय है, जहां न्यायाधीशों के सभी 11 पदों पर नियुक्ति हो चुकी है। गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पद 42 हैं, जिनमें से सिर्फ 24 पर नियुक्ति हुई है और अगले साल 31 दिसंबर तक पांच और न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने वाले हैं। आंध्र उच्च न्यायालय में भी न्यायाधीशों के कुल 49 पदों में से 16 पर नियुक्ति नहीं हुई है।

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