Wednesday, February 15, 2012

रिटायरमेंट बाद भी भ्रष्ट अफसरों की खैर नहीं


अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के कामकाज की 15 साल में समीक्षा करने का फैसला करने के बाद केंद्र सरकार अब भ्रष्ट अधिकारियों पर सेवानिवृत्ति के बाद भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री नारायणसामी के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अगर कोई अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है, तो सेवानिवृत्ति के बाद भी उसकी संपत्ति और नकदी जब्त की जा सकेगी। गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में जारी अधिसूचना में कहा था कि सेवा के 15 वर्ष बाद कामकाज की समीक्षा करने पर ठीक ढंग से काम नहीं करने वाले अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को हटाया जा सकता है। अब तक ऐसे अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा सेवा अवधि के 30 वर्ष बाद की जाती थी। विधि व न्याय मंत्रालय के सहयोग से बनाए गए नए नियमों के मुताबिक, संबंधित विभाग का सक्षम अधिकारी आरोपी अधिकारी की संपत्ति और नकदी जब्त करने का आदेश दे सकता है। दरअसल, ज्यादातर विभागों और जांच एजेंसियों ने रिटायर हो चुके भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में परेशानियां पेश आने की बात कही थी। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त होने पर संबंधित विभाग कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांगते हैं। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत तब आती है, जब कार्रवाई सेवानिवृत्त अधिकारी के खिलाफ की गई हो। लिहाजा, विभाग ने इस मुद्दे का समाधान निकालने का फैसला किया। अधिकारी ने बताया कि इस संदर्भ में सीबीआइ सहित सभी विभागों को दिशा-निर्देश भेज दिए गए हैं। आपराधिक कानून अध्यादेश 1944 (संशोधित) की धारा-3 भ्रष्टाचार के जरिए जुटाई गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देती है। हालांकि, इसमें आरोपपत्र लंबित होने, मामला चलाए जाने की अनुमति का इंतजार और आरोपी के सेवानिवृत्त होने की स्थिति में कार्रवाई के बारे में स्पष्टीकरण नहीं है। अधिकारी ने बताया कि नए नियमों के मुताबिक अगर बिना सरकार या प्राधिकार की अनुमति लिए सेवानिवृत्त हो चुके भ्रष्ट अधिक ारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19(1) के तहत मामला दर्ज किया गया हो, तब भी अधिसूचित अपराध में उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां सक्षम प्राधिकार केंद्र सरकार के बराबर नहीं माना जाएगा, वहां सक्षम प्राधिकार का मंत्रालय आरोपी अधिकारी की पूंजी या संपत्ति जब्त करने के लिए आवेदन कर सकता है।

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