Monday, April 16, 2012

गुजरात नरसंहार मामले में 18 को उम्रकैद


विशेष अदालत ने गुजरात दंगे से संबंधित ओड नरसंहार मामले में 18 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पांच अन्य दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई गई है। गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के दंगों के दौरान एक मार्च, 2002 को दंगाइयों की भीड़ ने ओेड गाव में अल्पसंख्यक समुदाय के 20 घरों को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में नौ बच्चों और नौ महिलाओं समेत 23 लोगों की मौत हो गई थी। जिला व सत्र न्यायाधीश पूनम सिंह ने सजा सुनाने से पहले इसे जघन्य हत्याकांड बताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं समाज में दुर्लभतम हैं। दोषियों को कड़ी सजा समाज के लिए भी उदाहरण होगा। न्यायाधीश ने आजीवन कैद पाने वाले दोषियों पर 5,800 और सात साल की सजा पाने वालों पर 3,800 रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस मामले में 47 लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। दोषी करार दिए गए 23 लोगों में दो जमानत पर छूटने के बाद विदेश भाग गए थे। उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है। विशेष अदालत ने इस मामले की सुनवाई मार्च, 2011 में पूरी कर ली थी, लेकिन हाई कोर्ट की रोक के कारण फैसला नहीं सुनाया जा सका था। सभी दोषी पटेल समुदाय के हैं। ओड नरसंहार गुजरात दंगों के उन नौ मामलों में शामिल है, जिनकी जांच गुलबर्ग सोसाइटी दंगे की चश्मदीद गवाह जकिया जाफरी की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआइटी) को सौंपी थी। जकिया गुलबर्ग दंगे में मारे गए पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं। इससे पहले गोधरा कांड और सरदारपुरा दंगा मामले में फैसला आ चुका है। सभी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित की गई थीं।

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