Monday, April 16, 2012

गुलबर्ग दंगे में मोदी के खिलाफ सबूत नहीं


गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए राज्यव्यापी दंगों से जुड़े गुलबर्ग सोसायटी मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को बड़ी राहत मिली। सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआइटी) ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट में दाखिल 55 हजार पन्नों की अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मुख्यमंत्री समेत 62 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। साथ ही मामले को बंद करने की मांग की है क्योंकि उसे मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। अदालत ने जांच दल को आदेश दिया कि वह गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए पूर्व कांग्रेसी सांसद अहसान जाफरी की पत्नी व मुख्य याचिकाकर्ता जकिया जाफरी व अन्य लोगों को 30 दिन अर्थात 10 मई तक एसआइटी रिपोर्ट मुहैया कराएं। अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एमएस भट्ट ने 8 फरवरी 2012 को एसआइटी द्वारा पेश की गई 550 पन्नों की समरी व करीब 50 हजार पेज की क्लोजर रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कहा, एसआइटी ने रिपोर्ट में कहा है कि दंगा मामले में मुख्यमंत्री मोदी, तत्कालीन डीजीपी के चक्रवर्ती, अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर पी सी पांडे समेत 62 आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। अदालत ने कहा, शिकायती का पक्ष सुनने के बाद यह फैसला करना होगा कि क्लोजर रिपोर्ट कीे स्वीकार किया जाए या नामंजूर कर दिया जाए। हालांकि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश और न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के मद्देनजर याची को जांच रिपोर्ट व उससे संबंधित दस्तावेज मिलने चाहिए। इसके लिए जाकिया को कोई नोटिस देने की जरूरत नहीं है। एसआइटी के वकील आरएस जमुवार ने कहा, आदेश के मुताबिक, जकिया को जल्द ही दंगा मामले की रिपोर्ट, गवाहों के बयान व अन्य सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाएंगे। जाकिया का कहना है कि उनकी इंसाफ की उम्मीद अभी बाकी है, मुझे विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा। जकिया के वकील एस एम वोरा ने कहा, कोई जांच एजेंसी किसी आरोपी को क्लीन चिट नहीं दे सकती। यह अदालत का काम होता है। एसआइटी ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट की पूर्णतया उपेक्षा की है, इस रिपोर्ट में उनकी जांच व अवलोकन को कोई उल्लेख नहीं किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता तीश्ता सीतलवाड़ ने कहा, जकिया को रिपोर्ट देने का आदेश उनकी जीत है, कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। उल्लेखनीय है कि 28 फरवरी 2002 को दंगाइयों ने गुलबर्ग सोसाइटी में हमला कर पूर्व कांग्रेसी सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोगों को मार डाला था। अहसान की पत्नी जाकिया ने न्याय के लिए अप्रैल 2009 में सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर मुख्यमंत्री मोदी, उनके मंत्रियों, पुलिस अफसरों व भाजपा पदाधिकारियों पर दंगों की साजिश रचने का आरोप लगाया था, जिसमें एक हजार से ज्यादा मुस्लिम मारे गए थे। शीर्ष अदालत ने जाफरी की याचिका पर गुलबर्ग सोसायटी समेत सूबे के नौ विशेष दंगा मामलों की जांच के लिए सीबीआइ के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम का गठन किया था। मार्च 2010 में जांच टीम ने मुख्यमंत्री मोदी से करीब 17 घंटे तक लगातार पूछताछ की थी। 

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