Wednesday, June 1, 2011

दो की मौत की सजा पर लगी आखिरी मुहर


राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पा चुके आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर और महिंदर नाथ दास की दया याचिका को नामंजूर कर दिया है। भुल्लर ने 1993 में दिल्ली में बम धमाका कर 30 लोगों की जान ले ली थी। राष्ट्रपति के सामने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु सहित कई याचिकाएं लंबित हैं। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इन दोनों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखते हुए इनकी दया याचिकाएं खारिज कर दी है। राष्ट्रपति भवन ने इस फैसले की सूचना गुरुवार को गृह मंत्रालय को भेज दी। भुल्लर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर उसकी याचिका की स्थिति पर जानकारी मांगी थी। माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद यह फैसला लेने में देरी नहीं की गई और भुल्लर सहित दास के मामले में भी फैसले की जानकारी गृह मंत्रालय को दे दी गई है। अब गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट में इसकी जानकारी देगा। भुल्लर को 1993 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसने 14 जनवरी, 2003 को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दी थी। मगर इस पर लंबे समय तक कोई फैसला नहीं होने के बाद उसने इसी साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसके मामले पर जल्दी फैसला लेने को कहा था। उसकी दलील थी कि उसे सिर्फ फांसी की सजा हुई थी, उम्रकैद के साथ फांसी की नहीं। इसलिए इतने समय तक जेल में रहने के बाद उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाए। उसके साथ ही राष्ट्रपति ने महिंदर नाथ दास के मामले में भी अपना फैसला सुना दिया। दास ने हत्या के एक मामले में जमानत पर रहते हुए किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या कर दी थी। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी में हो रही देरी पर विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर हमला करती रही हैं। उसकी याचिका लंबे समय तक दिल्ली सरकार के पास अटकी रही थी। राष्ट्रपति की ओर से इन दो मामलों पर फैसले के बाद अफजल पर भी जल्दी ही फैसला हो सकता है। अफजल की दया याचिका राष्ट्रपति के पास 2006 से लंबित है.

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