Tuesday, August 16, 2011

न्यायिक सक्रियता हमेशा से बहस का विषय: कपाडि़या


भारत और चीन दोनों ही उदीयमान शक्तियां हैं लेकिन जो चीज भारत को बीजिंग पर बढ़त दिला सकती है वह है उसकी कानून व्यवस्था। बांबे उच्च न्यायालय की स्थापना की 150वीं सालगिरह पर यहां रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण और केंद्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कही। हालांकि कार्यक्रम में उपस्थित सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाडि़या ने बड़े सधे हुए लहजे में न्यायिक सक्रियता का भी जिक्र किया। न्यायमूर्ति कपाडि़या ने कहा कि जब से बांबे उच्च न्यायालय अस्तित्व में आया है तब से लेकर अब तक न्यायिक सक्रियता और आलोचना बहस का विषय रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चह्वाण ने कहा, भविष्य में भारत और चीन का समय होगा। हमारे देश को उसकी न्यायपालिका के जरिए बढ़त है। उनके सुर में सुर मिलाते हुए केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, चीन और भारत के बीच लोग हमारी कानून व्यवस्था को तरजीह देंगे। खुर्शीद ने कहा, बांबे उच्च न्यायालय ने 1862 में अपने काम की शुरुआत की। बांबे उच्च न्यायालय हमारी न्यायिक स्वतंत्रता के प्रति वचनबद्धता का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक है। अब भी अनेक ऊंचाइयां छूनी बाकी हैं। और अधिक न्यायाधीशों की नियुक्ति, अधिक से अधिक आधारभूत संरचनाएं खड़ी करना और त्वरित तथा वहनीय न्याय देने की चुनौतियां हैं। न्यायपालिका को सहयोग देने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री चह्वाण ने कहा, आतंकवाद, मौत की सजा, आपराधिक न्याय और इस जैसी अन्य चुनौतियों से कार्यकारियों द्वारा अकेले स्तर पर नहीं निपटा जा सकता है। इस अवसर पर न्यायमूर्ति कपाडि़या ने याचिकाओं के ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा का शुभारंभ किया। इससे याचिका दाखिल करने के लिए निश्चित घंटे होने के कारण लगी लंबी कतारों से छुट्टी मिलेगी।


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