Thursday, August 4, 2011

यूपी में एक और भू-अधिग्रहण रद


नई दिल्ली भू-अधिग्रहण के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फिर बड़ा झटका लगा है। इस बार भी अधिग्रहण में आपात उपबंध लगाना राज्य सरकार के गले की फांस बना। सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिबा फुले नगर में जिला जेल के निर्माण के लिए किया गया भू-अधिग्रहण बृहस्पतिवार को गलत ठहरा दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस अधिग्रहण को सही ठहराया था। भू-स्वामियों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया और अधिग्रहण को चुनौती देने वाली देवेंदर सिंह अन्य भू स्वामियों की याचिकाएं स्वीकार कर लीं। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का आपात उपबंध (धारा 17 (4)) लगाकर भूमि अधिग्रहण करना न्यायोचित नहीं है। याचिकाकर्ता भू-स्वामियों को आपत्ति उठाने के महत्वपूर्ण अधिकार (धारा 5-) से वंचित नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ज्योतिबा फुले नगर जिला 1997 में बना था। बीच में यह जिला समाप्त हुआ और 2004 में इसका पुनर्गठन हुआ। ज्योतिबा फुले नगर के जिलाधिकारी ने 24 जनवरी 2003 को राज्य सरकार को जिला जेल के निर्माण के लिए भू-अधिग्रहण का प्रस्ताव भेजा, निसंदेह यह प्रस्ताव जनहित में था, लेकिन राज्य सरकार ने 5 साल बाद जिलाधिकारी से अधिग्रहण के लिए जमीन की उपलब्धता बताने को कहा। चयन समिति ने 2008 में ज्योतिबा फुले नगर की अमरोहा तहसील के दुल्हापुर संत प्रसाद गांव की 20.870 हैक्टेयर भूमि चिन्हित की, लेकिन राज्य सरकार ने भू-अधिग्रहण अधिसूचना निकालने में दो वर्ष का समय लगा दिया। पीठ ने कहा कि पूरा घटनाक्रम राज्य सरकार का ढीलाढाला रवैया पेश करता है। ऐसे में राज्य सरकार का आपात उपबंध लगाकर भू-स्वामियों का अधिग्रहण के खिलाफ आपत्ति उठाने का अधिकार छीनना न्यायोचित नहीं है। पीठ ने अपने पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ जनहित में भूमि अधिग्रहण करना,अधिग्रहण में आपात उपबंध लागू करने को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता। कोर्ट को इन तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए कि रिहायशी, औद्योगिक इंस्टीटयूशनल क्षेत्र विकसित करने की योजना बनने में सामान्यता कुछ सालों का समय लग जाता है। इसलिए जनहित की इन परियोजनाओं के जमीन अधिग्रहण में आपात उपबंध लगाना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। राज्य सरकार ने ज्योतिबा फुले नगर में जिला जेल बनाने के लिए गत वर्ष 5 मार्च को धारा 4 और 6 अगस्त 2010 को धारा छह की अधिसूचना निकाली। अधिग्रहण में आपात उपबंध का इस्तेमाल हुआ था। इसलिए भू-स्वामी अधिग्रहण के खिलाफ आपत्ति नहीं उठा सकते थे। भू-स्वामियों ने अधिग्रहण को हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने जिला जेल के निर्माण के लिए किये गये अधिग्रहण को जनहित में और त्वरित महत्व का माना था।




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