Friday, September 30, 2011

दुष्कर्म के दो दशक पुराने मामले में 269 दोषी करार


तमिलनाडु की सत्र अदालत ने दो दशक पुराने बहुचर्चित वचाती दुष्कर्म मामले में गुरुवार को एतिहासिक फैसला सुनाया। चंदन तस्कर वीरप्पन के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान वचाती जनजाति के लोगों के उत्पीड़न और सामूहिक दुष्कर्म के इस मामले में सभी 269 आरोपी सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। इनमें से 54 की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। धर्मपुरी में जिला सत्र अदालत के जज एस कुमारगुरु ने 20 जून, 1992 के इस मामले में चार आइएफएस समेत वन विभाग के 126 कर्मचारी, 84 पुलिसकर्मी और आव्रजन विभाग के पांच कर्मचारियों को दोषी करार दिया है। इनमें से 17 को जनजाति समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया गया है। चार अधिकारियों को एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया है। दुष्कर्म के 12 आरोपियों को 17 साल और पांच को सात साल कैद की सजा सुनाई गई है। अन्य को एक से तीन साल तक की सजा हुई है। अन्य पर लूटपाट, पद के दुरुपयोग, उत्पीड़न और गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाने के मामले में सजा सुनाई गई है। सीबीआइ ने इस मामले में 269 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान 54 आरोपियों की मौत हो गई। फैसले के वक्त अदालत में कड़ी सुरक्षा की गई थी। आरोपों के मुताबिक 20 जून 1992 को पुलिसकर्मियों, वन और राजस्व अधिकारियों का एक समूह गांव पहुंचा। पूरे गांव के लोगों को एक लाइन में खड़ा कर पीटा गया। इनमें से 20 लड़कियों एवं महिलाओं को पास के जंगल में ले जाया गया जहां उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। आरोप है कि इस मामले में राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने आरोपी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की। माकपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया। लंबी लड़ाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया जिसकी वजह से गुरुवार इन आरोपियों को दोषी ठहराया गया।

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