Friday, September 30, 2011

राष्ट्रपति ने अब तक सिर्फ तीन दया याचिकाएं ठुकराईं


राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अपने अब तक के कार्यकाल में 13 दया याचिकाओं का निपटारा किया है। इनमें से सिर्फ तीन की सजा को बरकरार रखा, जबकि दस की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला। राष्ट्रपति सचिवालय के पास 19 दया याचिकाएं अभी भी लंबित हैं, जिसमें संसद हमले के दोषी मो.अफजल का मामला भी शामिल हैं। सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की आरटीआइ अर्जी से यह जानकारी सामने आई है। गृह मंत्रालय ने अग्रवाल को भेजे जवाब में कहा है कि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अपने चार साल दो माह के कार्यकाल (25 जुलाई 2007 से 20 सितंबर तक) में अभी तक 13 दया याचिकाओं का निपटारा किया है। इनमें से सिर्फ तीन को सजा माफी देने से मना किया है। पहला मामला असम के महेन्द्र नाथ दास का है, जिसने हत्या के मामले में जमानत मिलने के बाद एक और हत्या कर दी थी। दूसरा मामला खालिस्तानी आतंकी देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर का है, जिसने दिल्ली में बम विस्फोट कर नौ लोगों की हत्या कर दी थी। हमले में 29 अन्य लोग घायल भी हुए थे। राष्ट्रपति ने राजीव गाधी के हत्यारों मुरुगन, संथन और पेरारिवलन की दया याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। महामहिम ने परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के आरोप में फांसी की सजा पाए तमिलनाडु के गोविंदसामी, उत्तर प्रदेश में सामूहिक नरसंहार के दोषी श्याम मनोहर, शिवराम, प्रकाश, सुरेश, रविंद्र और हरीश, यूपी में ही एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के दोषी धर्मेद्र कुमार, नरेन्द्र यादव की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसी प्रकार पंजाब में 17 लोगों की हत्या करने वाले पियारा सिंह, सरबजीत, गुरदेव और सतनाम सिंह, बिहार में आधा दर्जन के कत्ल के जिम्मेदार शोभित, तमिलनाडु में दस साल की बच्ची को अगवा करने के बाद मार डालने के दोषी मोहन गोपी, मध्य प्रदेश के स्कूली छात्रा की बलात्कार के बाद हत्या करने वाले एम.राम और संतोष, महाराष्ट्र में दो लोगों की हत्या के आरोप में फांसी की सजा पाए एस.बी. पिंगले की सजा को उम्रकैद में बदला।

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