Monday, December 20, 2010
बालाकृष्णन के झूठ का पर्दाफाश
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष केजी बालाकृष्णन के झूठ से पर्दा उठ गया। मामला मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश आर.रघुपति को प्रभावित करने का है, जिसे लेकर पूर्व संचार मंत्री ए.राजा विवादों में घिरे हैं। बालाकृष्णनइस मामले की जानकारी होने से इंकार कर चुके हैं, लेकिन सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश एचएल गोखले ने मंगलवार को इस प्रकरण में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन के साथ हुए पत्राचार को सार्वजनिक कर न्यायपालिका को चौंका दिया। गोखले इस प्रकरण के दौरान मद्रास हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। उनके बयान के बाद बालाकृष्णन बड़े विवाद में फंस गए हैं। केजी बालाकृष्णन ने गत बुधवार को जारी बयान में कहा था, मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान उन्हें जस्टिस आर.रघुपति का पत्र नहीं मिला था। मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पत्र में मंत्री के नाम का जिक्र नहीं था इसलिए उस संबंध में कार्रवाई की संस्तुति नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गोखले ने बालाकृष्णन के बयान को पूरी तरह गलत साबित करते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के साथ हुए पत्राचार का तिथिवार ब्योरा जारी किया और कहा, ए. राजा और वकील चंद्रमोहन से जुड़ी घटना की जानकारी बालाकृष्णन को दी गई थी। गोखले ने बयान में कहा, मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर में मौजूद रिकार्ड को जांचकर यह प्रेस नोट जारी किया जा रहा है, क्योंकि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के बयान से उनकी (गोखले की) भूमिका के बारे में गलत छवि बनती है। जस्टिस रघुपति का पत्र न मिलने के बालाकृष्णन के बयान पर उन्होंने कहा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने न केवल उनके पत्र की पावती भेजी थी, बल्कि पत्र के जरिए यह भी बताया था कि इस घटना के बारे में सांसदों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है, जिसकी प्रति उन्हें मिली है। गोखले के अनुसार, बालाकृष्णन ने उस ज्ञापन पर उनकी (गोखले) राय मांगी थी जिसका उन्होंने जवाब भी दिया था। पत्र में मंत्री के नाम का जिक्र न होने के बयान पर गोखले ने कहा, न्यायमूर्ति आर रघुपति का पत्र पूर्व मुख्य न्यायाधीश के पास था और उस पत्र के दूसरे पैराग्राफ में विशेषतौर पर मंत्री राजा का नाम दिया गया था। उन्होंने केजी बालाकृष्णन का ध्यान जस्टिस रघुपति के पत्र के दूसरे पैराग्राफ की तरफ दिलाया था। यही नहीं पूर्व मुख्य न्यायाधीश को इस बाबत मद्रास हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की भी जानकारी दी गई थी।
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