Wednesday, December 22, 2010

संघ लोक सेवा आयोग को बताने पड़ेंगे अंक

अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) नियमों और गोपनीयता की दुहाई देकर अभ्यर्थियों को परीक्षा के अंक दिखाने से नहीं बच सकता। सुप्रीमकोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिविल सेवा परीक्षा के अंक दिखाए जाने का दिल्ली हाईकोर्ट का तीन सितंबर 2008 का आदेश फिलहाल लागू है। सुप्रीमकोर्ट ने अंक दिखाने की मांग लेकर पहंुचे 15 अभ्यर्थियों के मामले में भी वही आदेश लागू करने का निर्देश दिया है। सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश के बाद यूपीएससी को सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले 15 अभ्यर्थियों को 2010 की सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के अंक बताने होंगे। कोर्ट द्वारा स्थिति साफ कर दिये जाने के बाद यूपीएससी को 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों को भी अंक बताने पड़ेंगे, वह सुप्रीमकोर्ट में मामला लंबित रहने की आड़ नहीं ले सकता। न्यायमूर्ति आफताब आलम व न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की पीठ ने अजय कुमार मिश्रा, अंगेश कुमार और 13 अन्य की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किये। इन अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि गत 23 मई को हुई सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में उनके साथ नाइंसाफी हुई है। उनसे नीची मेरिट वाले मुख्य परीक्षा के लिए चयनित हो गये, जबकि वे रह गये। इन अभ्यर्थियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के तीन सितंबर 2008 के आदेश को आधार बनाया था, जिसमें हाईकोर्ट ने यूपीएससी को अंक दिखाने का आदेश दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का वह आदेश अभी भी लागू है, क्योंकि उस आदेश को चुनौती देने वाली यूपीएससी की याचिका परीक्षा नियमों में बदलाव किये जाने के कारण सुप्रीमकोर्ट से खारिज हो चुकी है। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने वाला सुप्रीमकोर्ट का आदेश भी समाप्त हो गया है। कोर्ट ने साफ किया कि उनके सामने आये याचिकाकर्ताओं के मामले में भी दिल्ली हाईकोर्ट का वही आदेश लागू होगा। यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। कैसे साफ हुई स्थिति 17 अप्रैल 2007 को दिल्ली हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यूपीएससी को सिविल सेवा परीक्षा के अंक दिखाने का निर्देश दिया था। यूपीएससी ने फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी और हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 3 सितंबर 2008 को एकलपीठ के फैसले पर मुहर लगा दी। खंडपीठ ने यूपीएससी का निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों के जनरल स्टडीज और विषयानुसार कट आफ अंकों का खुलासा करे। इतना ही नहीं स्केलिंग मा‌र्क्स और रॉ मार्क का भी खुलासा करे। साथ ही माडल उत्तर भी दिखाये। यूपीएससी ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी और सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।


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