Monday, December 20, 2010

ऐसे खुलासों से सुधरेगी न्यायपालिका की हेल्थ

यह पहली घटना है जब किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश के बयान का सुप्रीम कोर्ट के जज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर खंडन किया है। चुप्पी साधे रहने वाले न्यायाधीश ने विस्फोटक रहस्योद्घाटन कर अपने ही एक पूर्व सहयोगी को कठघरे में खड़ा किया है। जिससे न्यायपालिका और न्यायाधीशों की छवि और आचरण को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पूर्व न्यायाधीशों में कुछ इसे संस्था की छवि खराब करने वाला मानते हैं तो कुछ इसे न्यायपालिका की सेहत के लिए अच्छा बताते हैं। न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपने कार्यकाल में न्यायाधीशों के लिए आचरण संहिता लागू कराने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा कहते हैं कि इस घटना से उच्च न्यायापालिका की छवि धूमिल हुई है। जस्टिस गोखले जो कह रहे हैं वह सही ही होना चाहिए। मीडिया में दोनों बयान हैं। बस इतना ही कहूंगा कि हर व्यक्ति को सच बोलना चाहिए और जज से ऐसी ही उम्मीद की जाती है। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और विधि आयोग के सदस्य जस्टिस शिवकुमार तो सच झूठ से आगे बढ़ कर घटना को न्यायपालिका में पारदर्शिता से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि न्यायपालिका में पारदर्शिता होनी चाहिए। इसके बारे में जो तथ्य जनता के सामने आते हैं, उससे उसकी छवि धूमिल नहीं होती, बल्कि सुदृढ़ होती है। जनता अपने विवेक से स्वयं सच और झूठ को अलग-अलग कर लेती है। जिस व्यक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगाना चाहती है, लगा देती है। इलाहबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस आर सिंह तो ऐसे रहस्योदघाटन को न्यायपालिका की सेहत सुधारने वाला बताते हैं। जो कुछ हो रहा है, उससे अंतत: अच्छे नतीजे निकलेंगे। जब किसी संस्था में कमियां चरम सीमा पर पहंुच जाती हैं तो इस तरह के विस्फोटक रहस्योदघाटन होते हैं। फिर सुधार के लिए मंथन चलता है। उपाय निकलते हैं और अंतत: संस्था का स्वास्थ्य सुधरता है। पारदर्शिता लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है और हर क्षेत्र में इसकी प्रवृत्ति बढ़ी है। जनहित में जरूरी है कि इस तरह की चीजें न छिपाई जाएं। अगर पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने गलत बयानी की है तो रिकार्ड देखकर उसका रहस्योदघाटन करना ठीक है। इससे जनता का न्यायपालिका में विश्वास बढ़ेगा। जबकि पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण घटना को छवि धूमिल करने वाला बताते हैं लेकिन वे साफ कहते हैं कि जस्टिस गोखले ने जो किया, ठीक किया। हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि अगर कुछ ऐसा हो रहा है तो वह उसे जनता के सामने लाए।

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