Tuesday, July 5, 2011

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां


एक ऐसे तंत्र की जरूरत है जो विभिन्न विभागों को समन्वय, निर्देशन और जरूरत पड़ने पर त्वरित कार्रवाई का आदेश दे सके, कानून का शासन बनाये रखने के लिए ऐसे मामलों में न्यायालय की लगातार निगरानी जरूरी है चिंता का विषय सिर्फ चोरी छिपे ले जाकर विदेशी बैंकों में जमा किए गए धन की मात्रा ही नहीं है बल्कि जिस तरह से ये धन देश से बाहर ले जाया गया है वह भी है 
धन के गलत इस्तेमाल की आशंका भी चिंता का विषय है। इसका प्रभाव न सिर्फ देश की आर्थिक शक्ति पर पड़ता है बल्कि इसका गैरकानूनी व राष्ट्र के खिलाफ भी इस्तेमाल हो सकता है 
पैसे का ये चक्र सीमा पार आपराधिक गतिविधियां समाप्त करने के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को नुकसान पहुंचाते है 
विदेशी बैंकों में गुपचुप तरीके से जमा कराई गई ये अकूत संपत्ति इसके गैर कानूनी ढंग से अर्जित करने का शक पैदा करती है 
सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह इस संपत्ति को वापस लाने का हर संभव प्रयास करे और विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों को दंडित करे 
देश से विदेशी बैंकों में जा रहा बेहिसाब धन सरकार और उसके अधिकारियों की कर एकत्रित न कर पाने की क्षमता को जाहिर करता है जो उनका संवैधानिक दायित्व है 
कोर्ट ने सरकार की जांच पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जांच रुकी हुई थी और अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही इसमें तेजी आई है 
जितनी गंभीरता से जांच होनी चाहिए थी, नहीं हुई। केंद्र सरकार ने जांच की निगरानी के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की इस बीच आरोप-पत्र दाखिल हुआ, लेकिन वह आरोप-पत्र उच्च स्तरीय समिति को नहीं दिखाया गया 
स्थिति रिपोर्ट देखने से साफ होता है कि समस्या जटिल है और देश भर में फैली बहुत सी एजेंसियों और विभागों को जिस तत्परता से काम करना चाहिए नहीं किया। केंद्र सरकार अपने पूर्व कार्रवाई, धीमी जांच के बारे में कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे पाई 
स्विट्जरलैंड के बैंक यूबीएस की विश्वसनीयता पहले से संदेहास्पद थी इसके बावजूद उसे खुदरा बैंकिंग का लाइसेंस दिया|

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