Thursday, July 7, 2011

गुजरात का माहौल अब पहले से बेहतर : सुप्रीम कोर्ट

 नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने 2008 में देश भर में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के 64 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई गुजरात से बाहर करने के अनुरोध को बुधवार को खारिज कर दिया। अदालत ने इस दावे को भी नहीं माना कि गुजरात में सुनवाई होने से सांप्रदायिक भावनाएं भड़क सकती हैं। न्यायालय के अनुसार गुजरात का माहौल अब पहले की तरह नहीं है। यह आशंका बेकार है कि वहां निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती। इसलिए अहमदाबाद धमाकों के मामले की सुनवाई गुजरात में ही होगी। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर और न्यायमूर्ति साइरस जोसेफ की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी जाहिद शेख और अन्य की गिरफ्तारी को छोड़ कर इस बात के सबूत बहुत ही कम हैं कि गुजरात का माहौल देखते हुए सुनवाई राज्य से बाहर की जानी चाहिए। वर्ष 2008 में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद और बेंगलूर जैसे बड़े शहरों में श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में 56 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। आरोपियों के खिलाफ सुनवाई गुजरात में हो रही है, लेकिन उन्होंने इस आधार पर सुनवाई राज्य से बाहर कराने की मांग की थी कि पुलिस, अभियोजन पक्ष और पीठासीन न्यायाधीश हिंदुओं के पक्ष में हैं और इस वजह से उनके साथ भेदभाव हो सकता है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोपियों की ओर से तर्क दिया था कि यदि सुनवाई गुजरात में हुई तो सांप्रदायिक हिंसा फिर भड़क सकती है। अदालत ने आरोपियों की इस याचिका को खारिज कर दिया कि 2002 के दंगों के बाद सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस भाजपा शासित राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि गुजरात दंगों के बाद स्थितियों में सुधार आया है और आरोपियों का यह दावा केवल आशंका ही है कि स्वतंत्र तरीके से सुनवाई नहीं हो सकती। बहरहाल, न्यायालय ने आरोपियों को छूट दी कि अगर उन्हें प्रतिकूल माहौल में सुनवाई की आशंका हो तो वे फिर अदालत आ सकते हैं। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 2009 में आरोपियों की याचिका पर मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी|

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