Sunday, April 3, 2011

हाई कोर्ट ने झारखंड को दिया अवमानना का नोटिस


झारखंड हाईकोर्ट ने हरमू नदी के मुद्दे पर राज्य सरकार, रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए), रांची नगर निगम, आवास बोर्ड और राज्य प्रदूषण बोर्ड को अवमानना नोटिस जारी किया है। इस मुद्दे पर बीते शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा शपथ पत्र दायर किए जाने पर मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद और न्यायमूर्ति डीएन पटेल की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था, शपथ पत्र में तो सरकार चांद तोड़ लाने की भी बातें करती है, लेकिन वास्तव में करती कुछ भी नहीं। सरकार के शपथ पत्र में कहा गया है कि उच्च स्तरीय बैठक में राज्य में पेयजल संकट और जलस्रोतों की समस्या से निपटने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन उपायों पर चर्चा की गई है। उसमें पाया गया कि राज्य में पिछले दो वर्ष से औसत से कम वर्षा होने के कारण पेयजल संकट उत्पन्न हुआ है। इस पर मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद ने कहा, यह भी दर्ज किया जाना चाहिए था कि औसत से कम वर्षा का क्या कारण है? राज्य में जल संरक्षण के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं। इसी कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। सरकार के साथ-साथ राज्य के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करे। अदालत ने कहा कि आए दिन खबरें प्रकाशित होते रहती हैं कि रांची के तीन चार जलस्रोत अतिक्रमण के कारण समाप्त हो गए हैं। पूरे राज्य में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन सरकार अब भी कह रही है कि काम किया जा रहा है। अच्छा शासन सरकार का काम है पर क्या कर रही है वह? पूर्व विधायक भाजपा नेता सरयू राय ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर अदालत को बताया कि उन्होंने पानी और नदियों के रखरखाव तथा प्रदूषण पर बहुत काम किया है। अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए लिखित सुझाव देने का निर्देश दिया। अदालत को बताया गया कि 22 जुलाई 2003 को हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए आदेश दिया था कि रांची की हरमू नदी के आस पास से अतिक्रमण हटाया जाए और नदी को अतिक्रमण मुक्त किया जाए। आज तक सरकार और संबंधित एजेंसियों के द्वारा इस संबंध में कुछ भी नहीं किया जा सका है। इसे अदालत के आदेश का उल्लंघन मानते हुए संबंधित पक्षों को अवमानना नोटिस जारी कर उनसे पूछा गया है कि उनके विरुद्ध अवमानना वाद क्यों नहीं चलाया जाए? अब मामले की अगली सुनवाई की तारीख 19 अप्रैल निर्धारित की गई है।


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