Friday, April 15, 2011

अपराध से जुडे़ किसी भी स्थान पर चलेगा केस


सुप्रीम कोर्ट ने थाना-कचहरी का सीमा विवाद समाप्त करने वाला एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई अपराध एक स्थान से शुरू होकर लगातार दूसरे स्थान तक जारी रहता है तो उसका मुकदमा घटना से जुड़े किसी भी स्थान पर चलाया जा सकता है। यानि अगर पति या ससुराल वाले विवाहिता को प्रताडि़त करते हैं और उसी प्रताड़ना के क्रम में डरा-धमका कर मायके छोड़ जाते हैं तो मुकदमा ससुराल या मायके के किसी भी स्थान की अदालत में चल सकता है। पीडि़तों को राहत पहंुचाने वाला यह फैसला न्यायमूर्ति पी. सथाशिवम व न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना की शिकार बिहार की रहने वाली सुनीता कश्यप की याचिका स्वीकार कर ली है और क्षेत्राधिकार के आधार पर उसके पति के खिलाफ दहेज का मुकदमा निरस्त करने का पटना हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया। कोर्ट ने गया की अदालत को सुनीता के पति संजय कुमार सैनी के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले पर कानून के मुताबिक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सुनीता की शिकायत देखने से पता चलता है कि उसके प्रति पति और ससुराल वालों की क्रूरता रांची में शुरू होती है और उसी क्रम में उसका पति दहेज की मांग पूरी न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर उसे मायके गया छोड़ जाता है। इस मामले में अपराध एक से अधिक थाना क्षेत्र में घटित हुआ है। अपराध घटित होने वाले स्थानों में गया भी है इसलिए गया की अदालत में मुकदमा चल सकता है। सुनीता की याचिका के मुताबिक उसकी शादी वर्ष 2000 में रांची निवासी संजय कुमार सैनी के साथ हुई। शादी के बाद से ही उसे दहेज के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा। पहले उसके पति ने मकान ठीक कराने के लिए पिता से 4 लाख रुपये लाने का दबाव डाला और उसे मायके छोड़ गया और बाद कहा कि जब तक उसके पिता गया का मकान उसके नाम नहीं करते वह सुनीता को रांची वापस नहीं ले जाएगा। अंत में प्रताड़ना से ऊब कर सुनीता ने 2007 में पति और ससुराल वालों के खिलाफ गया के मगध मेडिकल कॉलेज थाने में शिकायत दर्ज कराई और गया की अदालत ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के मामले में संज्ञान लिया और ट्रायल शुरू किया। सुनीता के पति ने गया अदालत की कार्यवाही को क्षेत्राधिकार के आधार पर चुनौती दी। उसका कहना था कि मुकदमा तो रांची में चल सकता है क्योंकि घटना वहां की है। पटना हाईकोर्ट ने उसकी दलील स्वीकार करते हुए गया की अदालत में चल रहा मुकदमा खारिज कर दिया था|

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