Saturday, January 15, 2011

मध्यस्थ के जरिए पारिवारिक विवाद सुलझाएं

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि परिवार और वैवाहिक विवादों से जुड़े दीवानी मामलों को लंबे समय तक चलने वाली कानूनी लड़ाई की बजाए मध्यस्थ के माध्यम से सुलझाए जाने चाहिए क्योंकि कानूनी लड़ाई में केवल वादियों को नुकसान होता है। इस दिशा में महात्मा गांधी के मध्यस्थता का मार्ग अपनाने की सलाह का अनुसरण करना चाहिए। शीर्ष न्यायालय में न्यायमूर्ति मार्कडेय काटजू और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश में महात्मा गांधी की पुस्तक माई एक्सपेरीमेंट विद ट्रुथ का हवाला देते हुए वकीलों को सलाह दी कि वे अपने मुवक्किलों को ऐसे मामलों में कानूनी दांवपेंच में उलझने और धन खर्च करने की बजाए मध्यस्थता के माध्यम से इसे सुलझाने को कहें। मध्यस्थता एक वैकल्पिक विवाद निपटारा व्यवस्था है जहां मध्यस्थ विवाद से जुड़े पक्षों के बीच समझौता कराते हैं। पीठ ने कहा, यह सगे संबंधियों के बीच का विवाद है। हमारे विचार से ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए कि इनका निपटारा मध्यस्थ के माध्यम से निकाला जाए। शीर्ष न्यायालय ने कहा, हमारी राय के अनुसार, वकीलों को अपने मुवक्किलों को सुझाव देना चाहिए कि वह उन्हें विवादों का समाधान निकालने और समझौता कराने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाए क्योंकि ऐसे मामलों में कानूनी दांवपेंच में उलझने से काफी समय बर्बाद होता है और दोनों पक्षों को नुकसान होता है।

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