Saturday, January 15, 2011

काले धन वालों के नाम बताने में क्या दिक्कत है

विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह विदेशी बैंकों में भारतीय खातेदारों के नाम का खुलासा क्यों नहीं करना चाहती। जानकारी का खुलासा करने में उसे दिक्कत क्या है। यह बात न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी व न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम से यह बात उस समय पूछी जब उन्होंने पीठ को बताया कि सरकार को जर्मनी की लेचेस्टाइन बैंक में भारतीयों के खातों का ब्योरा मिला है लेकिन वह उसका खुलासा नहीं करना चाहती। पीठ ने फिर पूछा कि किस विशेषाधिकार के तहत वह इसका खुलासा नहीं करने का दावा कर रही है। सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह तीसरे पक्ष के हितों के संरक्षण (थर्ड पार्टी प्रोटेक्शन) का मामला है। जब कोर्ट ने पूछा कि तीसरा पक्ष कौन है तो सुब्रह्मण्यम ने कहा बैंक। आरबीआइ के भी इस तरह के संबंध हैं। उन्होंने कहा कि वे नामों का खुलासा करने के बारे में निर्देश लेकर बताएंगे, लेकिन इस बारे में अब तक हुई जांच की ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार हैं। यह कर अपवंचन का मामला है। पीठ ने कहा कि यह सिर्फ कर अपवंचन का ही नहीं, बल्कि उससे आगे का मामला है। विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों का काला धन वापस लाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता जाने-माने वकील राम जेठमलानी की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल दीवान ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने की बात मामले को लंबा लटकाना है। जर्मनी के वित्त मंत्री ने लेचेस्टाइन बैंक के खातेदारों के नाम बताने की बात कही थी तो भारत सरकार ने उनसे ब्योरा क्यों नहीं लिया। दीवान ने कहा कि वे सिर्फ भारतीय खातेदारों के संबंध में बात कर रहे हैं। जेठमलानी ने कहा कि हसन अली खान के खाते में सैकड़ों करोड़ जमा हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। दीवान ने भी कहा कि आखिर प्रवर्तन निदेशालय कितने वर्षो तक इस केस पर बैठा रहेगा। पीठ ने कहा कि क्यों न खातेदारों को भी पक्षकार के तौर पर शामिल किया जाए। दीवान ने कहा कि इस मामले में डबल टैक्स एवाइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) लागू नहीं होगा क्योंकि यह नियम विदेशी बैंकों में धन जमा करने वाले भारतीयों पर लागू नहीं होता। सरकार ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में कुछ दस्तावेज जमा किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 19 तारीख को होगी।


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