Thursday, March 3, 2011

अपहर्ताओं को दी जाए आजीवन कारावास या फांसी


संसद की स्थायी समिति ने विमान अपहरण की स्थिति से निपटने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन को हरी झंडी दे दी है। समिति का कहना है कि ताजा हालात को देखते हुए ऐसी वारदात में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल सभी लोगों को आजीवन कारावास या मौत की सजा दी जानी चाहिए। हालांकि मौत की सजा उसी स्थिति में दी जाए जब ऐसी वारदात के दौरान किसी की जान ली गई हो। सीताराम येचुरी की अध्यक्षता वाली परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति ने हाइजैक रोधी (संशोधन) विधेयक, 2010 पर विस्तृत चर्चा कर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंप दी है। फांसी की सजा पर समिति ने और स्पष्ट किया कि ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि अक्सर अपहरणकर्ताओं के साथ बातचीत कर सवारियों की जान बचाने की कोशिश की जाती है। अगर अपहर्ताओं को पहले से मालूम हो कि उन्हें फांसी मिलनी तय है तो फिर इस तरह के मान-मनौव्वल की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। समिति ने ऐसी वारदात के शिकार होने वाले लोगों को मुआवजे का प्रावधान भी करने को कहा है। साथ ही समिति का सुझाव है कि विमान अपहरण की ही तरह बस, कार, ट्रेन आदि परिवहन के दूसरे साधनों के अपहरण से निपटने के लिए भी ऐसा ही कानून बनाया जाए। यह विधेयक पिछले साल अगस्त में राज्य सभा में पेश किय|

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