Thursday, March 10, 2011

सुप्रीम कोर्ट से ठुकराई याचिकाएं सुन सकता है हाईकोर्ट


सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में व्यवस्था दी है कि उसकी टिप्पणियों को कानून या मिसाल नहीं माना जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका खारिज किए जाने के बावजूद हाईकोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की जा सकता है। न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू और ज्ञान सुधा मिश्रा ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के गंगाधर की याचिका पर दिए फैसले में कहा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के बावजूद अगर हाईकोर्ट किसी समीक्षा याचिका को स्वीकार कर लेता है, तो शीर्ष न्यायालय को इससे खुद को तिरस्कृत महसूस नहीं करना चाहिए। न्यायालय ने कहा, हमारा मानना है कि इन निष्कर्षो को मिसाल के तौर पर कतई नहीं देखा जाना चाहिए। हम तिरस्कार से नहीं डरते। इस बात को देखना जरूरी है कि विधिक सिद्धांत का निर्धारण किया गया है या नहीं। पीठ ने कहा, इस न्यायालय के छिटपुट निष्कर्षो को मिसाल नहीं माना जाना चाहिए। पीठ ने कहा, शीर्ष अदालत के किसी फैसले से संविधान समीक्षा का अधिकार लुप्त नहीं हो जाता। शीर्ष अदालत के आदेश संविधान में परिवर्तन करने की शक्ति नहीं रखते। न्यायाधीश ने कहा, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 136 विवेकाधीन प्रतिकार का हक देता है। इसे विभिन्न तर्को के आधार पर खारिज किया जा सकता है न की वरीयता के आधार पर|

No comments:

Post a Comment