Sunday, March 6, 2011

विदेशी मुद्दों पर कानून नहीं बना सकती संसद


 सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद ऐसे किसी भी विदेशी मुद्दे को लेकर कानून नहीं बना सकती, जिसका राष्ट्रीय हित पर कोई असर न हो। आयकर कानून के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती देती निजी कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह व्यवस्था दी। मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडि़या की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा-ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए कि कथित असीम विधाई संप्रभुता के चलते संसद के पास कोई भी या सभी तरह के कानून बनाने का अधिकार है, भले ही उस कानून का देश हित से कोई सरोकार हो या ना हो। दरअसल निजी कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में जिस प्रावधान को चुनौती दी है, उसके मुताबिक कंपनी किसी विदेशी कंपनी को अपने भुगतान का हिस्सा रोक सकती है। कंपनी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में केंद्र के विधाई अधिकारों को चुनौती दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने कानून के विवादित प्रावधान की वैधता को कायम रखा था। जिरह के दौरान अदालत में यह सवाल उठा-क्या संसद उन मामलों में भी कानून बना सकती है, जो देश के बाहर से संबंधित हो? इसके जवाब में अदालत ने कहा-नहीं, जाहिर है कि संसद उन्हीं मामलों में कानून बनाने के लिए अधिकार संपन्न है, जिनका संबंध, पहलू या कारण देश की सीमा के अंदर ही हों। हां, देश की सीमा से बाहर के ऐसे मामलों में कानून बनाने का अधिकार जरूर है, जिनका असर भारत पर पड़ सकता है या फिर भारत से ताल्लुक रखता हो। इस तरह के कानून समूचे भारतीय क्षेत्र या उसकेकिसी हिस्से के लिए कानून बनाने की संसद को प्रदत्त शक्ति के अर्थ, अभिप्राय और दायरे के भीतर आएंगे। ऐसे कानूनों को इस आधार पर अमान्य नहीं किया जा सकेगा कि इसके लिए देश के क्षेत्र से परे जाकर कोई अभियान चलाने की जरूरत पड़ सकती है|

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