Wednesday, March 23, 2011

हाई कोर्ट की खंडपीठ के मुद्दे पर खेमेबंदी


गोरखपुर में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ स्थापित किए जाने संबंधी भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की मांग का विरोध शुरू हो गया है। सपा सांसद रेवती रमण सिंह इस मुद्दे पर पहले ही संसद में आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। अब हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इसे लेकर खेमेबंदी शुरू कर दी है। एसोसिएशन ने समर्थन जुटाने के लिए बसपा सांसद कपिलमुनि करवरिया को पत्र लिखा है। योगी का तर्क है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के वादकारियों को लंबा सफर तय करके इलाहाबाद आना पड़ता है। यहां आने में उन्हें तमाम दुश्वारियों का समाना करना पड़ता है। इसके मद्देनजर गोरखपुर में हाई कोर्ट की एक खंडपीठ स्थापित की जानी चाहिए। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश शर्मा कहते हैं कि संविधान की धारा 214 के अंतर्गत एक राज्य में एक ही हाई कोर्ट हो सकता है। संविधान की दूसरी धारा 231 के अनुसार, कई राज्यों के लिए भी एक ही हाई कोर्ट हो सकता है। इस धारा के अनुपालन में गुवाहाटी हाई कोर्ट, असम एक मार्च,1948 को बनाया गया। 1972, 1974, 1990 तथा 2000 में गुवाहाटी हाई कोर्ट की छह खंडपीठ कोहिमा, इंफाल, अगरतला, शिलांग, ऐजोल, ईटानगर में स्थापित की गई, जो अलग-अलग छह राज्यों मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है और काम कर रही हैं। उनके मुताबिक संविधान के आधार पर अलग खंडपीठ की मांग गलत है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश नारायण शर्मा ने कहा कि उनका संगठन इस मांग का पुरजोर विरोध करेगा। वहीं बार एसोसिएशन के महासचिव अनिल तिवारी ने बसपा सांसद कपिलमुनि करवरिया को पत्र लिखकर योगी आदित्यनाथ की मांग का विरोध करने का आग्रह किया है। सपा संासद रेवतीरमण सिंह ने भी मांग का विरोध करते हुए कहा कि लोकसभा में वह बिल का पुरजोर विरोध करते रहेंगे। इस मुद्दे पर वह संसद में अपनी बात रख भी चुके हैं। उनके मुताबिक हाई कोर्ट का बंटवारा किसी हाल में उचित नहीं है|

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