Thursday, March 3, 2011

प्रधानमंत्री का फैसला गैरकानूनी


सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस को इस्तीफे का मौका भी नहीं दिया। थॉमस को चुने जाने की प्रक्रिया को गैर-कानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी पद पर उनकी नियुक्ति रद कर दी है। थॉमस की चुप्पी के चलते इस्तीफे को लेकर असमंजस बना हुआ है। हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद जहां एक तरफ कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने उनके त्यागपत्र देने की बात कही है, वहीं थॉमस के वकील विल्स मैथ्यूज ने कहा,यह गलत है। थॉमस ने इस्तीफा नहीं दिया है। हम फैसले को देखेंगे और इसके अध्ययन के बाद यह तय करेंगे कि इस्तीफा दिया जाए या पुनरीक्षा याचिका दायर की जाए। बहरहाल, अदालत के फैसले की धमक पीएमओ से लेकर 10, जनपथ तक पहुंच गई है। प्रधानमंत्री ने संसद में ही वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक की तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोर कमेटी की बैठक में इस फैसले से पैदा हुए सियासी संकट से उबरने पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री बेहद तनाव में थे। संकेत हैं कि इस मसले पर प्रधानमंत्री सदन में सफाई देंगे। फिलहाल, प्रधानमंत्री ने कहा, वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। अदालत के आदेश के बाद सरकार की साख को धक्का लगा है, क्योंकि थॉमस को चुनने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के अध्यक्ष प्रधानमंत्री थे और सरकार ने थॉमस के चयन तथा थॉमस ने अपनी नियुक्ति का बचाव किया था, लेकिन अदालत ने थॉमस को बाहर का रास्ता दिखा दिया। मुख्य न्यायाधीश एचएस कपाडि़या, केएस राधाकृष्णनन और स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि एचपीसी ने नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं किया। कमेटी की अनुशंसाएं गैर कानूनी थीं। लिहाजा, थॉमस की नयुक्ति रद की जाती है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह और एक स्वयंसेवी संगठन की याचिका पर आए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी की नियुक्ति की समीक्षा अदालत के अधिकारों से परे होने के सरकारी तर्क को भी नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी थी कि उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति का कर्तव्य है कि सीवीसी जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए अनुपयुक्त व्यक्ति के नाम की सिफारिश न करे। अदालत की टिप्पणियों के ये तीर वास्तव में पीएमओ के सीने में सीधे जा धंसे हैं, क्योंकि समिति का फैसला बहुमत से हुआ था जिसमें नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज थॉमस के चयन के खिलाफ और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री चयन के हक में थे|

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