Thursday, March 24, 2011

इमरजेंसी में अस्पताल न करने पाएं इलाज से मना


उच्च न्यायालय ने केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे सभी अस्पतालों को आदेश दें कि सरकार के सुझाव को वह दिशा-निर्देश की तौर पर लागू करें। कोई अस्पताल इमरजेंसी में मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकता। सरकार की सिफारिशों को स्वीकारते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की कहा कि दिल्ली व केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सुझावों को दिशा-निर्देश की तरह माना जाए। इनको सभी अस्पतालों को भेज दिया जाए। जो अस्पताल इनका पालन न करें उसके खिलाफ संबंधित अधिकारी कार्रवाई करे। सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य एक सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाए जिसके अंतर्गत अस्पताल आते हों। वे अपने यहां खाली बेड की सूचना कंट्रोल रूम में भेजते रहे। इसमें फोन नंबर, फैक्स नंबर व मोबाइल नंबर अलॉट किया जाएं। इन पर कोई भी अस्पताल या एंबुलेंस संपर्क साध सके ताकि खाली बेड की स्थिति के बारे में पता लग सके। अगर इमरेजेंसी में कोई मरीज अस्पताल आता है और अस्पताल उसे बेड उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है तो उस मरीज को पास के उस अस्पताल में भेज दिया जाए जहां पर बेड खाली है। यह भी सुझाव दिया गया है कि अस्पताल इस बात का पूरा ध्यान रखे कि उनके सारे उपकरण चालू स्थिति में हों और किसी मरीज का इस आधार पर इलाज करने से मना न किया जाए कि उनका कोई डायग्नोस्टिक उपकरण काम नहीं कर रहा है। अगर घायल को किसी प्राइवेट अस्पताल में भी लाया जाता है तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह इलाज करें। कोई भी प्राइवेट अस्पताल किसी मरीज को इस आधार पर इलाज करने से मना नहीं कर सकता है कि उसके पास मेडिको-लीगल डाक्यूमेंट सुविधा नहीं है। इस संबंध में अस्पतालों को पुलिस को सूचित कर देना चाहिए। न ही किसी मरीज का इलाज में इस आधार पर देरी की जाए कि मेडिको-लीगल औपचारिकताएं लंबित है। अदालत ने इस मामले में मीडिया में छपी गई खबर पर स्वत संज्ञान लिया था। सब्जी विक्रेता रामभोर को 29 नवंबर, 2010 को आजादपुर मंडी के पास किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी। उसे जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम अस्पताल ले जाया गया परंतु अस्पताल ने बेड न होने की बात कहते हुए उसे भर्ती नहीं किया। इसके बाद कश्मीरी गेट सुश्रत ट्रामा सेंटर ले जाया गया। वहां पर भी उसे यह कहते हुए भर्ती नहीं किया गया कि उनके पास अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। फिर उसे लोकनायक अस्पताल लाया गया। उसे वहां भी यह कहते हुए भर्ती नहीं किया गया कि कानूनी कागजात पूरे नहीं है। जिसके बाद उसने लोक नायक अस्पताल के परिसर में स्थित एंबुलेंस में ही बिना मेडिकल सुविधा के दम तोड़ दिया|

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