Thursday, February 3, 2011

रेल रोकने पर मूकदर्शक नहीं रह सकते


चाहे राजस्थान का गुर्जर आंदोलन हो या हरियाणा का मिर्चपुर कांड, किसी न किसी कारण से आए दिन रेल और सड़क मार्ग बाधित किए जाने पर सुप्रीमकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने ऐसी घटनाओं पर सरकार की निष्कि्रयता पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए यहां तक कहा कि ऐसे मामलों में हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने सारी टिप्पणियां हरियाणा के मिर्चपुर कांड की सुनवाई के दौरान कीं, लेकिन इशारा सभी की ओर है। सोमवार को न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति एके. गांगुली की पीठ ने मिर्चपुर कांड में एक समुदाय के लोगों द्वारा रेल बाधित करने पर कहा कि उन्होंने खबरों से जाना कि रेल मार्ग बाधित किया गया। पीठ ने कहा कि पिछले कुछ सालों से इस तरह का ट्रेंड देखा जा रहा है। यहां तक कि राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के दौरान भी ऐसा देखने को मिला। पीठ ने कहा कि सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे कोई सरकार ही नहीं है। हम अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं। ताकतवर लोगों के समूह राज्य को बंधक बना रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा हम किसी समुदाय के ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं कर सकते। राज्य सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। ताकतवर लोग कानून के ऊपर नहीं हो सकते। राज्य सिर्फ बयानबाजी कर रहा है। कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि कितने दिन रेल मार्ग बाधित रहा और उससे कितना नुकसान हुआ। पीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार और सचिव रेलवे बोर्ड को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इससे पहले मिर्चपुर कांड के पीडि़तों के वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने पीठ को पीडि़तों के हालात बताये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के हलफनामे के साथ दाखिल की गई तस्वीरों में यह दिखाया गया है कि पीडि़त परिवार अपने घरों के सामने खड़े हैं, लेकिन वास्तव में ये फोटो पहचान पत्र बनवाने के लिए खिंचवाये गये थे।


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