Thursday, February 17, 2011

व्यवसाय के लिए पैसा मांगना भी दहेज : सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई नया व्यवसाय शुरू करने के लिए यदि वधु पक्ष से पति या ससुराल पक्ष के लोग धन या बेशकीमती सामान की मांग करते हैं और यह मांग शादी के रिश्ते से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हो तो इसे दहेज माना जाएगा। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की एक पीठ ने बचिनी देवी और उनके बेटे की एक अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। इन मां-बेटे ने दहेज हत्या के एक मामले में खुद को सुनाई गई सात साल की सश्रम कैद की सजा को चुनौती दी थी। पीठ ने इन लोगों की ओर से पेश की गई दलील खारिज कर दी, जिसके तहत उन्होंने 2007 के शीर्ष न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए दावा किया था कि यदि पति या ससुराल पक्ष के लोग कोई व्यवसाय शुरू करने के लिए धन की मांग करते हैं तो इसे दहेज नहीं माना जाएगा। पीठ ने कहा, अपीलकर्ताओं के वकील की इस दलील में कोई दम नहीं है कि मोटरसाइकिल की मांग करना दहेज नहीं हो सकता है। पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत अपीलकर्ता के खिलाफ जाते हैं। न्यायमूर्ति लोढ़ा ने इस फैसले को लिखते हुए कहा कि अपीलकर्ता पक्ष साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 113 बी के तहत ठोस जवाब नहीं दे पाया, जबकि यह धारा इस मामले पर पूरी तरह से लागू होती है। इस मामले में कांता नाम की महिला ने कुरुक्षेत्र स्थित अपने ससुराल में 11 अगस्त 1990 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसे अपने मायके से एक मोटरसाइकिल लाने के लिए परेशान किया गया था ताकि उसका पति दूध पहुंचाने का व्यवसाय कर सके। मृतका के पिता पाले राम इस मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं था। वह एक रिक्शा चालक था। कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में सात साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई थी, जिसे हरियाणा हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था।

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