Wednesday, February 23, 2011

तो क्या गुटखा की बिक्री पर भी लगेगी रोक!


गुटखा खाने और बेचने वाले दोनों ही सावधान हो जाएं। इसकी प्लास्टिक पैकिंग पर तो एक मार्च से प्रतिबंध लग ही रहा है, इसकी बिक्री पर रोक लग सकती है। या फिर इसे इतना महंगा किया जा सकता है कि लोग खुद ही इससे तौबा करने लगें। गुटखे के पर्यावरण पहलू पर फैसला कर लेने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट इसके सेहत पर पड़ने वाले असर पर भी सुनवाई करने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में 13 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई होनी है। स्वास्थ्य मंत्रालय और मामले से जुड़े अन्य लोगों का भी मानना है कि जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की पीठ अगली सुनवाई के दौरान ऐतिहासिक रवैया अख्तियार कर सकती है। इस दौरान यह पीठ गुटखा, पान मसाला और तंबाकू के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर विचार करेगी। जबकि मूल रूप से यह मामला इनकी प्लास्टिक पैकिंग के पर्यावरण पर होने वाले असर को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट ने पैकिंग में प्लास्टिक के उपयोग पर एक मार्च से पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला पहले ही सुना दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले हफ्ते राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्लू)की ओर से रिपोर्ट दी जा चुकी है। इसमें गुटखा, पान मसाला और तंबाकू के सेहत पर खतरनाक असर को विस्तार से बताया गया है। अब अगली सुनवाई इसी पर होगी। इसका साफ सा मतलब है कि कोर्ट इसकी बिक्री को रोकने या हतोत्साहित करने की दिशा में सोच रहा है। एक बड़ी पान मसाला कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसी किसी आशंका को लेकर ही वे पैकिंग में प्लास्टिक के विकल्प को ले कर ज्यादा निवेश करने से बचना चाहते हैं। इनके मुताबिक अगली सुनवाई पान मसाला उद्योग के भविष्य के लिहाज से बेहद अहम होगी। इनकी ओर से कोशिश हो रही है कि एक मार्च से पहले सुप्रीम कोर्ट पैकिंग के मामले पर फिर सुनवाई करे। इन कंपनियों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि यह गुटखा कंपनियों के साथ भेदभाव करने वाला फैसला है और कारोबार करने के उनके अधिकार को छीना जा रहा है।


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