Saturday, February 5, 2011

जाति प्रमाणपत्र का फर्जीवाड़ा रोकें


जिलास्तर पर बने कास्ट स्क्रूटनी कमेटी : हाईकोर्ट
फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
जाति प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गो की जनसंख्या को देखते हुए क्या प्रत्येक जिले में कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की जरूरत है ताकि आरक्षित श्रेणी के पदों अथवा सीटों पर चयनित व्यक्तियों को जारी सभी जाति प्रमाणपत्रों की वैधता जांची जा सके। थारू शक्ति समिति एवं अन्य बनाम उ.प्र. एवं अन्य, जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एफआई रिबैलो एवं न्यायमूर्ति विनीत सरन की खंडपीठ ने उप्र सरकार से यह भी बताने को कहा है कि शासनादेश दिनांक 5 जनवरी 1996 केअनुरूप अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गो केलिए कास्ट स्क्रूटनी कमेटी का गठन हुआ है या नहीं तथा इसके नामांकित एवं अन्य सदस्य कौन-कौन हैं। क्या इस कमेटी के साथ सतर्कता प्रकोष्ठ को सम्बद्ध किया गया है अथवा नहीं तथा सतर्कता प्रकोष्ठ में कौन-कौन लोग शामिल किये गये हैं।

जनहित याचिका में कहा गया है कि शासनादेश 5 जनवरी 1996 के अनुरूप जाति/जनजाति प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए कमेटी का गठन किया जाये। अब इस बात पर निर्विवाद कानूनी व्यवस्था है कि जिस जाति या वर्ग के लिए कोई पद या स्थान आरक्षित हैं वहां उसकी जाति/जनजाति का अभ्यर्थी नियुक्त किया जा सकता है, यदि वह इसके समर्थन में जाति/जनजाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है। इसी तरह के प्रमाणपत्रों की आवश्यकता प्रोफेशनल कॉलेजों में प्रवेश के लिए भी है। ऐसा प्रतीत होता है कि जाति प्रमाणपत्रों की छानबीन करने के लिए उ.प्र. में केवल एक कमेटी है। ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है कि तहसीलदार/ उपजिलाधिकारी/ डीएम द्वारा जाति प्रमाणपत्रों की वैधता की पुष्टि की जा सके। प्रोफेशनल कॉलेजों में आरक्षित स्थानों पर केवल आरक्षित वर्गो/जातियों केही अभ्यर्थियों को प्रवेश मिलना चाहिए, ऐसे लोगों को नहीं, जिन्होंने फर्जी जाति/ जनजाति प्रमाणपत्र लगा रखा हो। यह स्वीकार करना संभव नहीं है कि उप्र में केवल एक कमेटी इस कार्य को पूरा कर सकेगी। राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने इसे 3 मार्च 2011 को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया तथा राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जाति स्क्रूटनी कमेटियों केगठन के लिए कदम उठाए।

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