Sunday, February 20, 2011

मार्च से प्लास्टिक पाउच में नहीं बिकेगा गुटखा


सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा निर्माता कंपनियों को झटका देते हुए 1 मार्च से प्लास्टिक पाउच में गुटखा व पान मसाला सरीखे तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पाबंदी संबंधी अपने आदेश में ढील देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति के उस निष्कर्ष को संज्ञान में लिया जिसमें गुटखा व पान मसाला के सेवन को देश में मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों की वजह बताया गया है। जस्टिस जी.एस. सिंघवी और ए.के. गांगुली की पीठ ने गुरुवार को अपने पिछले आदेश में ढील देने संबंधी गुटखा कंपनियों की मांग खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को आदेश दिया था कि गुटखा कंपनियां 1 मार्च से प्लास्टिक पाउच में अपने उत्पाद नहीं बेच सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 फरवरी की सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सरकार से जवाब भी मांगा है। अदालत के कड़े रुख के बाद सरकार ने प्लास्टिक पाउचों में गुटखा व अन्य तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग को नियंत्रित करने के लिए प्लास्टिक मैनेजमेंट एंड डिस्पोजल रूल्स-2009 लागू कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी को सरकार पर टिप्पणी की थी, इस सब में आपको इतना समय क्यों लग रहा है? आप कर क्या रहे हैं? इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को गुटखा कंपनियों की चुनौती याचिका पर सुनवाई करते हुए प्लास्टिक पाउचों पर पाबंदी लगाने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर 1 मार्च तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार को एक स्वतंत्र एजेंसी से इस बात की जांच कराने को भी कहा था कि प्लास्टिक पाउचों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले तत्वों से उपभोक्ताओं को क्या खतरा है? सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के मुताबिक विभिन्न तंबाकू उत्पाद मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।


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