Thursday, February 10, 2011

कर के दायरे में आएगा काला धन


सर्वोच्च न्यायालय के आग्रह के बाद भी केंद्र सरकार उन व्यक्तियों के नाम बताने को तैयार नहीं है जिन लोगों ने विदेशी बैंकों में भारी भरकम धनराशि जमा कर रखी है। हालांकि काला धन की वापसी संबंधी उपायों की जानकारी से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराते हुए केंद्र सरकार ने इतना जरूर कहा कि बाहरी मुल्कों में जमा काला धन प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक के तहत कर योग्य आय के दायरे में आएगा। केंद्र सरकार ने बुधवार को अदालत में दिए अपने 18 पृष्ठों वाले हलफनामे में सभी विवरण तो शामिल किए हैं, लेकिन उसमें काला धन जमा करने वालों के नामों का जिक्र नहीं किया है। हलफनामे में कहा गया है, भारत द्वारा की गई पहल और बनाए गए दबाव के परिणामस्वरूप कई बैंकों ने बैंकिंग में गोपनीयता समाप्त करने पर अब सहमति जताई है। केंद्र की ओर से बताया गया कि कर सूचना आदान-प्रदान समझौते के तहत उन दस देशों से बातचीत पूरी कर ली गई है, जहां काला धन जमा होने की आशंका है। ये दस देश हैं-बहामास, बरमुडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, इस्ले ऑफ मान, कैमन आइलैंड, ब्रिटिश आइलैंड ऑफ जर्सी, मोनैको, सेंट किट्स एंड नेविस, अर्जेटिना और मार्शल आइलैंड। इनमें आठ देशों से समझौते को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। साथ ही बताया कि सरकार ने यूरोप में एलजीटी बैंक में भारतीयों द्वारा जमा किए गए काले धन की जानकारी लेने के लिए जर्मनी के साथ कराधान समझौता का उपयोग नहीं किया है। वित्त मंत्रालय की ओर से दाखिल एक अन्य हलफनामे में बताया गया, केंद्र सरकार ने काला धन बाहर निकालने के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक में नए प्रावधानों का प्रस्ताव किया है। इन प्रावधानों के तहत भारत से बाहर व्यक्तिगत तौर या बैंक में जमा धन को कर योग्य परिसंपत्तियों की श्रेणी में शामिल किया गया है। यह हलफनामा ऐसे वक्त में दाखिल किया गया है, जब प्रख्यात वकील राम जेठमलानी एवं अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने सरकार से काला धन के मामले में सवाल पूछे। हलफनामे के मुताबिक मौजूदा आय कर कानून के स्थान पर एक नई कर संहिता, प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक अप्रैल 2012 से लागू किया जाना है। केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि काला धन के बारे में हाल-फिलहाल कोई जांच-पड़ताल नहीं कराई है। कारण यह कि इस तरह के धन का आकलन भरोसेमंद नहीं रहा है।

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